Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या की तिथि, व्रत विधि, रुद्राभिषेक, उपाय और मोड़ीमाता मेला

Hariyali Amavasya यानी सावन मास की अमावस्या तिथि को प्रकृति, पितृ और देवताओं की आराधना का विशेष पर्व माना गया है। इस दिन व्रत, पितृ तर्पण, रुद्राभिषेक, पौधारोपण और दान-पुण्य से विशेष लाभ मिलता है। भारत के मध्यप्रदेश राज्य के मंदसौर जिले की सीतमऊ तहसील में मोड़ीमाता जी का प्रसिद्ध मेला भी इस दिन लगता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
हरियाली अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2025 को सुबह 2:29 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2025 को रात 12:41 बजे
उदय तिथि के अनुसार व्रत और पूजा: 24 जुलाई 2025 (गुरुवार)
इस दिन बन रहे हैं ये शुभ योग:
- गुरु पुष्य योग
- सर्वार्थ सिद्धि योग
- अमृत सिद्धि योग
इन योगों में की गई पूजा, स्नान, दान, व्रत और हवन अत्यंत फलदायी माने गए हैं।
हरियाली अमावस्या व्रत विधि
इस दिन व्रत रखने की परंपरा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है, जो परिवार की सुख-समृद्धि, पितृ शांति और ग्रह दोष निवारण के लिए किया जाता है।
- प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल मिलाएं।
- घर में या मंदिर में शिवलिंग का पूजन करें। पंचामृत से अभिषेक करें।
- “ॐ नमः शिवाय” और “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करें।
- पितरों के लिए तर्पण करें और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, दक्षिणा दें।
- फलाहार व्रत रखें और शाम को दीपदान करें व हरियाली अमावस्या की कथा सुनें।
- पीपल, आंवला, बरगद, नीम जैसे पौधों का रोपण करें और उनकी पूजा करें।
हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व
इस दिन पृथ्वी हरियाली से सजी होती है, और वातावरण शुद्ध होता है। यह तिथि:
- पितृ दोष निवारण और नवग्रह शांति के लिए उत्तम मानी जाती है।
- शिव पूजन, रुद्राभिषेक और मंत्र जाप से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है।
- पौधारोपण करने से प्रकृति की कृपा मिलती है और पुण्य फल प्राप्त होता है।
रुद्राभिषेक और ग्रह शांति हवन का महत्व
हरियाली अमावस्या पर रुद्राभिषेक और ग्रह शांति हवन करवाना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और पारिवारिक सुख मिलता है। शिवलिंग पर दूध, शहद, बेलपत्र, भस्म आदि से अभिषेक करने और महामृत्युंजय जाप से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मोड़ीमाता जी का मेला – सीतमऊ, मंदसौर (मध्य प्रदेश)
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की सीतमऊ तहसील में मोड़ीमाता जी का भव्य मेला हरियाली अमावस्या पर आयोजित होता है। हजारों श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता मोड़ीमाता जी के दर्शन करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और विशेष मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह मेला धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
हरियाली अमावस्या के प्रमुख उपाय
- पवित्र नदी या गंगाजल से स्नान करें।
- शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और मंत्र जाप करें।
- पितरों के नाम से तर्पण व ब्राह्मण भोजन कराएं।
- गरीबों को वस्त्र, भोजन, छाता, जूते आदि दान करें।
- घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं।
- पीपल और फलदार पौधों का रोपण करें व जल अर्पित करें।
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निष्कर्ष
Hariyali Amavasya 2025 न केवल व्रत, पूजा और उपाय का दिन है बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, पितृ तृप्ति और प्रकृति से जुड़ाव का पर्व भी है। इस दिन रुद्राभिषेक, हवन, व्रत, पौधारोपण</strong और मोड़ीमाता जी के दर्शन</strong से व्यक्ति का जीवन आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक रूप से उन्नत होता है।